सती गीधिन

सती गीधिन1972 में अवधी सम्राट  पण्डित बंशीधर शुक्ल जी द्वारा रचित कविता जो पक्षी-व्यवहार की सच्ची घटना पर आधारित है।
है बात अभी परसों (the day after tomorrow) की
जो नही भुलाने वाली
सत्प्रीति गीध-गीधिन की
नही भुलाने वाली

सप्तमी दिसम्बर पन्द्रह
सन उन्नीस सौ इकहत्तर
शुभ पौष बुद्ध दिन पूर्वा
धन प्राप्ति योग का सुखकर।

दिग सड़क कोन मौजा (hamlet) के
पूर्वोत्तर शहर किनारे
है उसी जगह पर भठ्ठा(brick-field)
इक मरा गीध (Vulture) बिन मारे

वह मृत मांसों का भक्षी (flesh-eater)
ढिग जीव न कोई आया,
तालाब निकट मृत लेटा
वह पथिकों को दिखलाया।

उसकी प्रिय अर्द्धागिनि ने
जब दिन भर पता न पाया
व्याकुल चिंतित संध्या को
बस मरा हुआ ही पाया।

आ गिरी चरण पर व्याकुल
टोंटों से तन सहलाया,

मृत लख चीखी चिल्लाई
शव पंखों तले छिपाया।

बैठे-बैठे नौ दिन तक
अंतर में व्यथा दबाये,
त्यागी निद्रा जल भोजन,
पति पार्थिव तन दुलराये।

कुछ बच्चे कौतूहल बस
मारने पकड़ने आते,
कुछ उड़ती फ़िर आ जाती
पग पंख न आगे जाते।

यदि कोई तन छू लेता,
तो स्नान ताल में करती,
औ शीघ्र उसी विधि आकर
बस वही बैठ तप करती।

इक चिता बनाई चुन-चुन
टोंटों से लकड़ी लाकर
पति शव पंखों से ढ़ँककर
बैठाया उसी चिता पर।

ग्रामीणों ने पहचाना
पति-प्रेम प्रबल पक्षी का
आश्चर्य चकित थे लखकर
अक्षय सतीत्व गिद्धी का।

फ़िर नवें दिवस पक्षी ने
नौ बज़े प्राण निज छोड़े
पति के वामांग चिता में
पति पग पर चोच मरोड़े।

निज धर्म चिता पर दोनों
मृत अंग देख विहगों के
दर्शक विमुग्ध बेसुध थे
आश्रित दैवी-गतियों के।

वे चले गये दुनिया से
निज प्रेमादर्श दिखाकर
इस क्षणभंगुर जगती को
युग देश धर्म सिखलाकर।

ग्रामीणों ने मुतकों का
वस्त्रों से अंग सजाया
चंदन-घृत गंगाजल से
नहला ठेला बिठलाया।

निकला जुलूस सड़कों पर
दोनों खग तपस्वियों का
दर्शक प्रसून(flower) बरसाते
गाते चरित्र सतियों का।

फ़िर उसी चिता पर रखकर
दोनों शव गये जलाये
निकली शुचि ज्योति अलौकिक
दर्शक विमुग्ध हरषाये।

यह भारतीय संस्कृति है
खग-मृग में पतिव्रत है
इसके विनाश करने को
सरकारें क्यों उद्यत हैं?

पर यह न कभी मिट सकती
सरकारें मिट जायेंगी
सद-धर्म ध्वजायें यों ही
भारत की लहरायेंगी।

तप-तेज जहाँ खग-मृग में
जो राग त्याग पर आश्रित
मिट जाय मिटाने वाले
पर अमिट हमारी संस्कृति।

कृष्ण कुमार मिश्र







                                                         

2 comments:

सहज समाधि आश्रम said...

आपके जीवन में बारबार खुशियों का भानु उदय हो ।
नववर्ष 2011 बन्धुवर, ऐसा मंगलमय हो ।
very very happy NEW YEAR 2011
आपको नववर्ष 2011 की हार्दिक शुभकामनायें |
satguru-satykikhoj.blogspot.com

शिवा said...

अच्छा लेख
कभी समय मिले तो http://shiva12877.blogspot.com ब्लॉग पर भी अपनी एक नज़र डालें .